गोरखपुर: उत्तर प्रदेश में निषाद पार्टी से जुड़े एक पूर्व कार्यकर्ता द्वारा आत्महत्या किए जाने की खबर से राजनीतिक और सामाजिक हलकों में सनसनी फैल गई है। मृतक, जो पिछले 10 वर्षों से निषाद पार्टी और राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे, ने अपने सुसाइड नोट में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी सरकार में मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद, उनके बेटे प्रवीण कुमार निषाद और श्रवण कुमार निषाद को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है।
10 सालों की निष्ठा और अंत में मिला धोखा
मृतक ने अपने सुसाइड नोट में विस्तार से लिखा कि उन्होंने अपने जीवन के 10 महत्वपूर्ण वर्ष समाज और पार्टी की सेवा में लगा दिए, लेकिन अंततः उन्हें गहरी साजिशों का शिकार होना पड़ा। उन्होंने लिखा कि उन्होंने निषाद समाज के हक और अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए खुद को पूरी तरह झोंक दिया, लेकिन बदले में उन्हें धोखा, षड्यंत्र और झूठे मुकदमों का सामना करना पड़ा।
सुसाइड नोट में लिखा है, “मैंने पिछले 10 वर्षों में अपने परिवार को समय नहीं दिया, बल्कि अपना सारा ध्यान समाज और पार्टी पर केंद्रित किया। मैंने उत्तर प्रदेश के 40-50 जिलों में जाकर संगठन को मजबूत किया, लेकिन जैसे-जैसे मेरी लोकप्रियता बढ़ी, वैसे-वैसे डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके बेटों की बेचैनी भी बढ़ती गई। वे नहीं चाहते थे कि कोई और नेता समाज में उनके बराबर खड़ा हो।”
झूठे मुकदमे और राजनीतिक षड्यंत्र
मृतक के अनुसार, जब उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी, तो निषाद पार्टी के शीर्ष नेताओं ने उनके खिलाफ साजिश रचनी शुरू कर दी। पार्टी के अंदर से ही उन्हें कमजोर करने की कोशिश की गई, और उनके करीबी सहयोगियों को उनके खिलाफ भड़काया गया।
उन्होंने लिखा, “पार्टी के लोगों ने मेरे ही साथियों को खरीदकर मेरे खिलाफ खड़ा कर दिया। मुझे झूठे मुकदमों में फंसाया गया, कई बार जेल जाना पड़ा, लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी। मैं अपने कदम नहीं रोकना चाहता था, क्योंकि मुझे समाज के लिए काम करना था।”
व्यक्तिगत हमले और परिवार पर प्रभाव
मृतक ने अपने नोट में लिखा कि उनके परिवार को भी इन राजनीतिक साजिशों का शिकार बनना पड़ा। उन्होंने एक घटना का जिक्र किया, जिसमें उनके विरोधियों ने उनके घर पर हमला करवाया, उनकी मां और बहन के साथ बदसलूकी की, और जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो उन पर झूठा मुकदमा दर्ज करवा दिया गया।
उन्होंने लिखा, “मैंने अपने घर पर हमला करने वालों का विरोध किया, लेकिन इसके बदले मुझ पर लूट और मारपीट के फर्जी आरोप लगाए गए। यह सब कुछ इसलिए किया गया ताकि मुझे बदनाम किया जा सके और मेरी सामाजिक छवि को खत्म किया जा सके।”
गुलशन निषाद हत्याकांड और अंतिम संघर्ष
मृतक ने पनियरा थाना क्षेत्र के बैदा गांव में हुई गुलशन निषाद हत्या कांड का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने निषाद समाज के एक युवक की हत्या को दुर्घटना बताने की पुलिसिया कोशिश का विरोध किया था।
उन्होंने लिखा, “जब मैंने निषाद समाज के एक पीड़ित परिवार के लिए न्याय की मांग की, तो मुझ पर फिर से झूठे केस लाद दिए गए। मुझे जेल भेज दिया गया, लेकिन जब मैं बाहर आया, तो निषाद पार्टी के लोग फिर मेरे समर्थन के लिए मेरे पास आए। उन्होंने मुझे फिर से इस्तेमाल करने की कोशिश की।”
परिवार से मांगी माफी और समाज को आखिरी संदेश
अपने सुसाइड नोट के अंत में मृतक ने अपनी मां, पत्नी और भाई-बहनों से माफी मांगी और लिखा कि उन्होंने समाज की लड़ाई लड़ते-लड़ते अपने परिवार को समय नहीं दिया।
उन्होंने अपनी पत्नी से माफी मांगते हुए लिखा, “मैं तुम्हें एक फूल जैसी बेटी देकर भी उसका सही से लालन-पालन नहीं कर सका। मैंने तुम्हें भी समय नहीं दिया, लेकिन अब मैं मजबूर हूं। मुझे माफ कर देना।”
इसके अलावा, उन्होंने निषाद समाज के युवाओं से अपील की कि वे उनके परिवार की देखभाल करें और समाज के लिए संघर्ष जारी रखें।
राजनीतिक हलकों में हलचल, निषाद पार्टी ने पल्ला झाड़ा
इस घटना के बाद निषाद पार्टी और उसके नेताओं पर गंभीर आरोप लगे हैं। पार्टी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह मामला सिर्फ एक आत्महत्या का नहीं, बल्कि निषाद पार्टी के अंदर चल रहे गहरे अंतर्विरोधों का भी संकेत है।
सोशल मीडिया पर उबाल, न्याय की मांग
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर मृतक के समर्थन में कई पोस्ट वायरल हो रहे हैं। लोग निषाद पार्टी के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं और न्याय की गुहार लगा रहे हैं।
क्या इस घटना से निषाद समाज की राजनीति बदलेगी?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना निषाद समाज की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। कई लोग इसे निषाद पार्टी के पतन की शुरुआत मान रहे हैं, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि यह पार्टी के लिए एक चेतावनी है कि अगर नेतृत्व में पारदर्शिता नहीं होगी, तो समाज के लोग उनसे दूरी बना लेंगे।
आगे क्या होगा?
इस मामले में पुलिस जांच जारी है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि निषाद पार्टी पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है। क्या पार्टी इस घटना को संभाल पाएगी, या फिर यह मामला निषाद समाज की राजनीति को नया मोड़ देगा?
यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन एक बात साफ है—यह घटना निषाद समाज की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।