नासा (NASA) की प्रसिद्ध भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने अपनी टीम के साथ सफलतापूर्वक पृथ्वी पर वापसी की है। यह मिशन कई चुनौतियों और रोमांचक घटनाओं से भरा रहा। बुधवार सुबह 3:27 बजे फ्लोरिडा के तट पर स्पेसएक्स के ड्रैगन फ्रीडम अंतरिक्ष यान में सवार होकर उन्होंने पृथ्वी पर कदम रखा।
17 घंटे का लंबा सफर और डॉल्फ़िन का स्वागत
अंतरिक्ष से लौटते समय इन यात्रियों ने करीब 17 घंटे की यात्रा की थी। जब उनका कैप्सूल समुद्र में लैंड हुआ तो वहां का दृश्य बेहद खास था। आश्चर्यजनक रूप से, डॉल्फ़िन का एक झुंड उनके स्वागत के लिए वहां मौजूद था। यह अनोखी घटना इस मिशन को और भी यादगार बना गई।
कैसे हुआ सुरक्षित रेस्क्यू ऑपरेशन
अंतरिक्ष यान के समुद्र में उतरते ही रेस्क्यू टीम ने तेजी से काम शुरू किया। कैप्सूल को सावधानीपूर्वक एक रिकवरी वेसल (जहाज) पर उठाया गया। इसके बाद साइड हैच को खोलकर अंतरिक्ष यात्रियों को बाहर निकाला गया।
सबसे पहले क्रू-9 के कमांडर निक हैग को बाहर लाया गया। उनके बाद रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोसमॉस के अंतरिक्ष यात्री अलेक्जेंडर गोर्बुनोव बाहर आए। फिर सुनीता विलियम्स मुस्कुराते हुए बाहर निकलीं और हाथ हिलाकर धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति को महसूस किया। उनके चेहरे पर राहत और खुशी साफ झलक रही थी। अंत में बुच विलमोर को सुरक्षित बाहर लाया गया।
स्पेसएक्स का सफल मिशन
इस सफल मिशन का संचालन एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने किया। क्रू-9 को सुरक्षित पृथ्वी पर लाने के लिए स्पेसएक्स ने अपने आधुनिक ड्रैगन कैप्सूल और फाल्कन 9 रॉकेट का उपयोग किया। वहीं, अब क्रू-10 ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अपने ऑपरेशन्स संभाल लिए हैं।
9 महीने से ISS पर फंसे थे अंतरिक्ष यात्री
सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर ने 5 जून 2023 को बोइंग के स्टारलाइनर यान के जरिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए उड़ान भरी थी। उनकी योजना वहां केवल आठ दिनों तक रुकने की थी, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण उनका रुकना 9 महीने तक बढ़ गया। स्टारलाइनर कैप्सूल को बिना यात्रियों के ही सितंबर में पृथ्वी पर वापस भेजा गया था।
45 दिनों का पुनर्वास कार्यक्रम
अब इन सभी अंतरिक्ष यात्रियों को ह्यूस्टन भेजा जाएगा, जहां वे करीब 45 दिनों के पुनर्वास कार्यक्रम से गुजरेंगे ताकि वे पृथ्वी के वातावरण के अनुरूप खुद को फिर से ढाल सकें।
सुनीता विलियम्स और उनकी टीम का यह साहसिक मिशन मानव अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस मिशन ने न केवल विज्ञान और तकनीक की सफलता को दर्शाया है, बल्कि अंतरिक्ष यात्रियों के धैर्य, हिम्मत और समर्पण की मिसाल भी पेश की है।